सर पे बाल नहीं, मुँह में दांत नहीं
अंगुलियाँ भी कपकपा रही है मेरी
पर कैसे कह दूँ तुझसे मिलने के बाद?
तू अब भी मेरी खास नहीं।
माना की नजर कमजोर हो गयी है दूर की
माना की बालों पे सफेदी आ गयी है तुम्हारे, उम्र की
पर कैसे कह दूँ तुम्हे देखने के बाद?
सीने में उठता अब कोई तूफ़ान नहीं।
परमीत सिंह धुरंधर