शहर भर से मेरा पता मत पूछ
ये दुश्मनी खानदानी है.
पिलाना है तो खुलकर पीला
ये अपनी प्यास पुरानी है.
तेरे जिस्म पे वो रख सकते हैं
सोने – चांदी, हीरे – जवाहरात
पर तुम्हारे वक्षों पे वो दाग
वो तो अमिट एक निशानी है..
परमीत सिंह धुरंधर
शहर भर से मेरा पता मत पूछ
ये दुश्मनी खानदानी है.
पिलाना है तो खुलकर पीला
ये अपनी प्यास पुरानी है.
तेरे जिस्म पे वो रख सकते हैं
सोने – चांदी, हीरे – जवाहरात
पर तुम्हारे वक्षों पे वो दाग
वो तो अमिट एक निशानी है..
परमीत सिंह धुरंधर