मोहब्बत में होती है बगावत नहीं
बगावत में होती है मोहब्बत नहीं।
ये वो फितरत है इंसानों की दोस्तों
जानवरों में ऐसी कोई चाहत नहीं।
ऐसी उतरी है जवानी उनपे
की किसी के दिल को राहत नहीं।
कैसे संभाले खुद को Crassa
की धड़कनों पे होती सियासत नहीं।
मुझे पता है वो मेरी नहीं होंगी
अपनी जेब में वो दौलत नहीं।
जी लेंगें यूँ ही उनकी यादों में
ह्रदय में अपने कोई और विरासत नहीं।
परमीत सिंह धुरंधर