वो उम्र भर की दुआ दे गयीं
नजर मिली तो दवा दे गयीं.
ये शहर ही ऐसा है
की हर कोई अकेला है.
वो किताबों में छुपाकर
अपना पता दे गयीं।
परमीत सिंह धुरंधर
वो उम्र भर की दुआ दे गयीं
नजर मिली तो दवा दे गयीं.
ये शहर ही ऐसा है
की हर कोई अकेला है.
वो किताबों में छुपाकर
अपना पता दे गयीं।
परमीत सिंह धुरंधर