सोचता हूँ की उनसे रिश्ता सुधार के देखें
किसी मोड़ पे फिर से उन्हें पुकार के देखें।
और एक छोटी सी इल्तिजा है दोस्तों
की आवो फिर से बैठें एक साथ
और जमाने को बिगाड़ के देखें।
वो गुजरे सामने से अपने
और उनको हम छेड़ के देखें।
वो अपनी आँखों में त्रिस्कार भर के
फिर हमें नफ़रत भरी नजरों से देखें।
और एक छोटी सी इल्तिजा है दोस्तों
की आवो फिर से बैठें एक साथ
और जमाने को बिगाड़ के देखें।
परमीत सिंह धुरंधर