उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका शुभ – दर्शन।
जान – जान का हो कल्याण
लगे जल – अन्न का फिर भण्डार।
धरती सज कर फिर खिल उठे
बनकर एक नई उपवन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन।
पुष्प सा विकसित हो हर एक नन्हा शिशु
आपके किरणों से पाके वर्ज सा यौवन।
ममातृत्व- वात्सल्य का यूँ ही चलता रहे
अनंत तक इस धरती पे ये मिलन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका दिव्या – दर्शन।
उदित हो ए सूर्य नारायण
छठी-व्रतियों को मिले आपका शुभ – दर्शन।
परमीत सिंह धुरंधर