जो अनंत, असीमित हो
जो निरंतर प्रवाहित हो.
जो दुःख में, सुख में
अकल्पनीय, अकल्पित हो.
जो मधुर से मधुरतम
प्रेम में प्रीत हो.
जो जड़ से जड़ित,
प्रेम से पीड़ित हो.
जो प्रेयसी के बाहों में भी
विरह से ग्रसित हो.
जो प्रेम के मिलन को
निरंतर अंकुरित हो.
जिसके नाम पे दुनिया
भय से कम्पित हो.
जो उषा में, निशा में,
हर एक दिशा में,
सूर्य सा अबिलम्ब उदित हो.
परमीत सिंह धुरंधर