साकार मेरे सारे स्वप्न हो ए छठी – मैया
सुख हो, समृद्धि हो घर में,
निरंतर आपका नाम हो ए छठी – मैया।
कुछ भी हो या कुछ ना हो मेरे पास
बस आपका एक आस हो ए छठी – मैया।
नस – नस में जब तक रहे प्राण
आता रहूँगा आपके घाट ए छठी – मैया।
माटी चाहे जो भी मिले
बस आपका आशीष मिलता रहे हमें ए छठी – मैया।
हर साल मैं छठ मानता रहूं ए छठी – मैया
हर साल मैं अर्घ्य सूर्य-देव को चढ़ाता रहूं ए छठी – मैया।
परमीत सिंह धुरंधर