तन्हाइयों से भरी रही हैं यहाँ तक मेरी राहें
पर मंजिल पे खामोशियाँ भी मदहोस कर रही हैं.
तू नजरों के सामने आये या ना आये सही
तेरे ख्वाब मुझे ज़िंदा रख रही हैं.
परमीत सिंह धुरंधर
तन्हाइयों से भरी रही हैं यहाँ तक मेरी राहें
पर मंजिल पे खामोशियाँ भी मदहोस कर रही हैं.
तू नजरों के सामने आये या ना आये सही
तेरे ख्वाब मुझे ज़िंदा रख रही हैं.
परमीत सिंह धुरंधर
Nice
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Thanks a lot for your kind comments on several posts!!!!
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