बुलंदियों की चाहत में ऐसे भाग रहे है लोग आगे – आगे
की मैं दिल के हाथों मजबूर, पिछड़ा – पिछड़ा महसूस करता हूँ.
ऐसे तोड़ गयी वो दिल मेरा मोहब्बत में
की खुशियों की हर बेला में तन्हा – तन्हा महसूस करता हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर
बुलंदियों की चाहत में ऐसे भाग रहे है लोग आगे – आगे
की मैं दिल के हाथों मजबूर, पिछड़ा – पिछड़ा महसूस करता हूँ.
ऐसे तोड़ गयी वो दिल मेरा मोहब्बत में
की खुशियों की हर बेला में तन्हा – तन्हा महसूस करता हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर