दर्द से भरी है जिंदगी
और कुछ नहीं पर हौसला दे गए वो.
ये शहर ही है ऐसा की हर कोई है अकेला
पर किताबों में छुपाकर पता दे गए वो.
उम्र ही ऐसी, क्या वादा और क्या इरादा?
पर छुट्टियों में स्कूल आने का बहाना दे गए वो.
ये शहर ही है ऐसा की हर कोई है अकेला
पर किताबों में छुपाकर पता दे गए वो.
परमीत सिंह धुरंधर