मोहब्बत
एक दास्ताँ बन जाए.
कुछ ऐसे करो
की कोई निशाँ बन जाए.
आज हम हैं तुम्हारी बाहों में
कल हों या ना हों.
इस कदर चुम लो इस एक रात में
की जिंदगी आसान हो जाए.
परमीत सिंह धुरंधर
मोहब्बत
एक दास्ताँ बन जाए.
कुछ ऐसे करो
की कोई निशाँ बन जाए.
आज हम हैं तुम्हारी बाहों में
कल हों या ना हों.
इस कदर चुम लो इस एक रात में
की जिंदगी आसान हो जाए.
परमीत सिंह धुरंधर