तुम हो
तो
ये शहर है.
वरना इन मकानों में क्या रखा है?
ये फूल, ये कलियाँ
तुम हो
तो
ये उपवन है.
वरना इन बहारों में क्या रखा है?
ये चाँद, ये सूरज
तुम हो
तो
ये जीवन है.
वरना इन साँसों में क्या रखा है?
परमीत सिंह धुरंधर
तुम हो
तो
ये शहर है.
वरना इन मकानों में क्या रखा है?
ये फूल, ये कलियाँ
तुम हो
तो
ये उपवन है.
वरना इन बहारों में क्या रखा है?
ये चाँद, ये सूरज
तुम हो
तो
ये जीवन है.
वरना इन साँसों में क्या रखा है?
परमीत सिंह धुरंधर