तन्हा रह गया सवरने में
और उम्र गुजरी तो दर्पण भी टूट गया.
जिंदगी का फलसफा बस यूँ ही रहा
की जिसे गले लगया, वो ही खंजर उतार गया.
परमीत सिंह धुरंधर
तन्हा रह गया सवरने में
और उम्र गुजरी तो दर्पण भी टूट गया.
जिंदगी का फलसफा बस यूँ ही रहा
की जिसे गले लगया, वो ही खंजर उतार गया.
परमीत सिंह धुरंधर