तेरी आँखों की कसम खाते हैं
तन्हाई में जी रहे पर तेरा नाम लेते हैं.
तुम मिलो कभी तो तुम्हे बता दें
वो शरारत थी बस तुम्हारे लिए.
सैकड़ों मिटे तो उनकी हैसियत बनी
ये शहर उनका हुआ, हमारी गरीबी रही.
परमीत सिंह धुरंधर
तेरी आँखों की कसम खाते हैं
तन्हाई में जी रहे पर तेरा नाम लेते हैं.
तुम मिलो कभी तो तुम्हे बता दें
वो शरारत थी बस तुम्हारे लिए.
सैकड़ों मिटे तो उनकी हैसियत बनी
ये शहर उनका हुआ, हमारी गरीबी रही.
परमीत सिंह धुरंधर
👌👌🌹
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