तेरे गोरे – गोरे अंगों पे ये काले – काले नयन
ना जीने देते हैं, ना सोने देते हैं
ये मन को मेरे तूने कैसा दे दिया बंधन?
तेरे गोरे – गोरे वक्षों पे ये तीखे – तीखे नयन
ना पीने देते हैं, ना मरने देते हैं
ये जीवन को मेरे कैसा मिला बंधन?
परमीत सिंह धुरंधर