खूबसूरत जिस्म पे जवानी का नशा
सखी, कटती नहीं रातें अब तो बालम बिना।
आँखों का काजल सुलगता है पूरी रात
जैसे जलता है मेरे कमरे में दिया।
परमीत सिंह धुरंधर
खूबसूरत जिस्म पे जवानी का नशा
सखी, कटती नहीं रातें अब तो बालम बिना।
आँखों का काजल सुलगता है पूरी रात
जैसे जलता है मेरे कमरे में दिया।
परमीत सिंह धुरंधर