हम धरती की उस मिट्टी से आते हैं
जिसके लाल धुरंधर कहलाते है.
हम धरती की उस मिट्टी से आते हैं
जो होंसलो से अपने बाँध, समंदर लेते हैं.
हम धरती की उस मिट्टी से आते हैं
जहाँ के बूढ़े भी विद्रोही बन जाते हैं.
हम धरती की उस मिट्टी से आते हैं
जहाँ के साधू छपरहिया कहके भूत भगाते है.
हम धरती की उस मिट्टी से आते हैं
जहाँ गुरु – गोविन्द सिंह जी धर्म की बिगुल बजाते हैं.
परमीत सिंह धुरंधर