वो किताबों के मेरे पन्ने बने हैं
वो शहर की मेरी दुकानें बने हैं.
ढूंढती है जिसे नजर मेरी प्यासी
वो ख़्वाबों के मेरे समंदर बने हैं.
वो मासूम सा चेहरा
छोड़ गया मुझे भंवर में
जिसके लिए हम दीवाने बने हैं.
These lines are for someone from Raebareli.
परमीत सिंह धुरंधर