मेरी कुछ सरहदे हैं
तुम्हारे कुछ रास्ते
दोनों मिल जाएँ
तो फिर अपनी रियासते।
सत्ता पे बैठे लोगो को
हम घेर लेंगें
तुम साथ चलो तो
तुम्हे भी कुछ सुन लेंगे।
ह्रदय को भाने
लगी हो तुम
तुम फूल बनकर खिलो तो
हम भौंरा बन लेंगे।
तुम्हारी नजर का तीर
अभी तक मेरे जिगर में है
तुम कहो तो
इस जख्म के साथ जी लेंगें।
परमीत सिंह धुरंधर