मैं खामोश हूँ, दिल बेचैन रहता है
गुनाह मेरे दिल का, मेरा रब जानता है.
हर दिल में डर है, राज महफूज है या नहीं
इस दौर में हर कोई, शक से बीमार लगता है.
सब कहते हैं उन्हें दौलत नहीं, सच्चा प्यार चाहिए
जिनकी रातों के लिए, यहाँ बाजार लगता है.
परमीत सिंह धुरंधर