चाँद बनो तुम तो रात का फिर नशा भी हो जाए
ख्वाब बनो तुम तो धड़कनों को मुकाम मिल जाए.
कब तक रखोगे यूँ हमसे घूँघट मुख पे रानी
ये घूँघट हेट तो अधरों का मिलन भी हो जाय.
परमीत सिंह धुरंधर
चाँद बनो तुम तो रात का फिर नशा भी हो जाए
ख्वाब बनो तुम तो धड़कनों को मुकाम मिल जाए.
कब तक रखोगे यूँ हमसे घूँघट मुख पे रानी
ये घूँघट हेट तो अधरों का मिलन भी हो जाय.
परमीत सिंह धुरंधर