हर किसी की नजर जवानी पे है
बस हम ही हैं सनम जो नादानी पे है.
सब हैं यहाँ दिल जीतने को तेरा
बस हम ही हैं सनम जो दिल हारने पे है.
दौलत – शोहरत, क्या नहीं?
ये तेरे दामन को चाँद -तारों से सजा देंगे।
बस हम ही हैं सनम जो तेरे नखरे उठाने पे हैं.
ना पूछा कर हमसे,
क्या कर सकते हैं तेरे लिए?
जहाँ से सब तेरा साथ छोड़ दे,
वहाँ से हम निभाने पे हैं.
परमीत सिंह धुरंधर