अतः हे रही
राह का चुनाव कर
मंजिलो का क्या है?
वो तो हैं ही वेबफ़ा।
कठिन है जीवन साकी के बिना
सरल भी नहीं, अगर साकी बन जाए मधुशाला।
परमीत सिंह धुरंधर
अतः हे रही
राह का चुनाव कर
मंजिलो का क्या है?
वो तो हैं ही वेबफ़ा।
कठिन है जीवन साकी के बिना
सरल भी नहीं, अगर साकी बन जाए मधुशाला।
परमीत सिंह धुरंधर