अदा
अदा न होती
अगर औरत बेवफा न होती।
मुझसे पूछने वालों
अगर उनका दिल इतना मासूम होता
तो शौहर से उनकी उम्र आधी न होती।
जिस्म पे जो अपने रख लेती हैं दुप्पटा
घर से निकलते ही
शहर में सिर्फ दौलतवालों की वो साथी न होती।
नजर झुका कर, ओठों को सिलकर
जो बनती है बेबस और लाचार
उनके आशिकों की इतनी मजारें न होती।
परमीत सिंह धुरंधर