तड़प – तड़प मेरी राहों को कोई मंजिल तो मिल जाए
गगन न सही, एक समुन्दर ही मिल जाए.
तप रही मेरी साँसों को एक प्याला तो मिल जाए
मधुशाला ना सही, गरल ही मिल जाए.
परमीत सिंह धुरंधर
तड़प – तड़प मेरी राहों को कोई मंजिल तो मिल जाए
गगन न सही, एक समुन्दर ही मिल जाए.
तप रही मेरी साँसों को एक प्याला तो मिल जाए
मधुशाला ना सही, गरल ही मिल जाए.
परमीत सिंह धुरंधर