कुछ किस्से
वो कमर से लिख गयीं।
कुछ किस्से
वो नजर से लिख गयीं।
जब और लिखना
मुमकिन ना रहा.
वो अपने अधरों को
मेरे अधर पे रख गयीं।
परमीत सिंह धुरंधर
कुछ किस्से
वो कमर से लिख गयीं।
कुछ किस्से
वो नजर से लिख गयीं।
जब और लिखना
मुमकिन ना रहा.
वो अपने अधरों को
मेरे अधर पे रख गयीं।
परमीत सिंह धुरंधर