सब पूछते हैं यहाँ की
क्यों मेरे हाथों में हर पल शराब हैं?
बिखर गयी है जिंदगी
इस कदर मुझे तेरा ख्वाब है.
तुझे क्या मिल गया?
इस दौलत से सजे सेज पे.
मेरी तो दुनिया बस
ग़मगीन और वीरान है.
Dedicated to Shiv Kumar Batalvi.
परमीत सिंह धुरंधर
सब पूछते हैं यहाँ की
क्यों मेरे हाथों में हर पल शराब हैं?
बिखर गयी है जिंदगी
इस कदर मुझे तेरा ख्वाब है.
तुझे क्या मिल गया?
इस दौलत से सजे सेज पे.
मेरी तो दुनिया बस
ग़मगीन और वीरान है.
Dedicated to Shiv Kumar Batalvi.
परमीत सिंह धुरंधर