तू आँखों से पीला दे
तो जवानी लगे झूमने।
तू घूँघट जो उठा दे
तो काफिर पढ़ने लगें आयतें।
तेरे ही इशारों पे
चल रहें हैं चाँद और तारें।
तेरी एक ही नजर
कलियों को खिला दे.
गूंज रहें भौरें
तेरा ही तराना।
तू बाहों में सुला ले
तो छोड़ दें जमाने की हसरतें।
परमीत सिंह धुरंधर