बड़े नादाँ हैं भौरें
परेशान है भौरें
जाने क्या ढूंढते हैं
जाने कैसा आसमान, भौरें?
इनको पता नहीं है
कलियाँ कितनी चालाक हैं।
ठग लेती हैं सबको
बस खर्चती एक मुस्कान हैं.
बड़े ब्याकुल हैं भौरें
बड़े बेताब हैं भौरें
किसी बनाने को
इनको पता ही नहीं
कलियाँ कितनी चालाक हैं
मासूम बनती हैं
पर दिल की बड़ी बईमान हैं.
परमीत सिंह धुरंधर