दिल बेख़ौफ़ है सजाए – मौत से
कोई जालिम से कह दे
की अब खंजर उतारे.
बेधड़क धड़क रहीं हैं धड़कने मेरी
कोई जालिम से कह दे
की वो अपना जोर और बढ़ाये.
आजाद रहीं हैं
आजाद ही रहेंगी ये वादियाँ।
चंचल हैं बड़ी, हवायें ये मेरे हिन्द की
कोई जालिम से कह दे
की इन्हें अब बेड़िया पहनाये।
Dedicated to Ram Prasad Bismil.
परमीत सिंह धुरंधर
👌👌👌❤❤🙏🙏🙏
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Thanks!!!!
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😊🙌😍
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