मेरी उम्र का सिला देखिये
बहकते कदम, झुकी नजर देखिये।
मेरी उम्र का सिला देखिये
कपकपाते अधर, बलखाती कमर देखिये.
हसरते जवान, बेचैन धड़कने-२
रातों का इनका कहर देखिये।
मेरी उम्र का सिला देखिये।।
ना नैनों में नींद, ना मीठा कोई स्वप्न
मचलते अरमानों के सेज की दाहक देखिये।
मेरी उम्र का सिला देखिये।।
मेरी उम्र का सिला देखिये
हसीं गालों पे जुल्फों का भंवर देखिये।
मेरी उम्र का सिला देखिये।।
टूटे तारे रात भर जिसकी मोहब्बत में
उसके हुस्ना का ये सहर देखिये।
मेरी उम्र का सिला देखिये।।
बरसते बादल, चमकती बिजली
अम्बर में ये जुगल देखिये।
मेरी उम्र का सिला देखिये।।
परमीत सिंह धुरंधर