ए चांदनी एक रात के लिए कोई ख्वाब तो दो
झूठा ही सही, पर ये साथ तो दो.
ये आग बुझती नहीं, और जलाती भी नहीं यादों को
तुम कुछ ऐसा तो करो, दो घडी ही सही मीठी नींद तो दो.
परमीत सिंह धुरंधर
ए चांदनी एक रात के लिए कोई ख्वाब तो दो
झूठा ही सही, पर ये साथ तो दो.
ये आग बुझती नहीं, और जलाती भी नहीं यादों को
तुम कुछ ऐसा तो करो, दो घडी ही सही मीठी नींद तो दो.
परमीत सिंह धुरंधर