तुम्हे चाहत है जिस समंदर की
उसका किनारा कहीं पराया ना लगे.
हम तो जी लेंगें यूँ ही तड़प -तड़प के
गुलाबों की सेज कहीं तुझे रुलाया ना करे.
परमीत सिंह धुरंधर
तुम्हे चाहत है जिस समंदर की
उसका किनारा कहीं पराया ना लगे.
हम तो जी लेंगें यूँ ही तड़प -तड़प के
गुलाबों की सेज कहीं तुझे रुलाया ना करे.
परमीत सिंह धुरंधर