जोबन चढ़ल, नयना मिलल
चुनर उड़ल, चूड़ी टूटल
राजा जी तहरे ही खेत में.
ललुआ भइल, भलुआ भइल
भइल सारा खेला
राजा जी रउरे ही खेत में.
छोड़ के फिर आपन खेत
बइठल बानी कौना, सौतन के सेज पे.
परमीत सिंह धुरंधर
जोबन चढ़ल, नयना मिलल
चुनर उड़ल, चूड़ी टूटल
राजा जी तहरे ही खेत में.
ललुआ भइल, भलुआ भइल
भइल सारा खेला
राजा जी रउरे ही खेत में.
छोड़ के फिर आपन खेत
बइठल बानी कौना, सौतन के सेज पे.
परमीत सिंह धुरंधर