गुरु से बढ़कर कोई हुआ है क्या?
उसमे गुरु गोविन्द सिंह जी
जिनके नाम में ही पुण्य जुड़ा।
जब धरती हुई पतित और पुण्य, शुन्य बना
तब चाक पे माटी से सिंहों को जिसने गढ़ा.
और सौ – सौ बाजों से टकराने चोंच
एक – एक चिड़िया उड़ी
गुरु ने ऐसा कर्म का पाठ पढ़ाया.
परमीत सिंह धुरंधर