रंगे-हालात बदलते -बदलते, कुछ यूँ बदल गयी जिंदगी
जिन्हे छुपाते थे किताबों में, उन्हें अब अश्कों में बहाया जाएगा।
हमसे मत पूछो, खंजर था या गोली थी
अब तो इस मौत के बाद भी उसे नहीं भुलाया जाएगा।
परमीत सिंह धुरंधर
रंगे-हालात बदलते -बदलते, कुछ यूँ बदल गयी जिंदगी
जिन्हे छुपाते थे किताबों में, उन्हें अब अश्कों में बहाया जाएगा।
हमसे मत पूछो, खंजर था या गोली थी
अब तो इस मौत के बाद भी उसे नहीं भुलाया जाएगा।
परमीत सिंह धुरंधर
Bahut khoob
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Thanks for your kind words!!!
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