निगाहें वही जो शरारती हो, वरना क्या मज़ा है साथी का?
जिंदगी वही जो ग़मों में हो, वरना क्या मजा है साकी का?
परमीत सिंह धुरंधर
निगाहें वही जो शरारती हो, वरना क्या मज़ा है साथी का?
जिंदगी वही जो ग़मों में हो, वरना क्या मजा है साकी का?
परमीत सिंह धुरंधर