मैं समंदर हूँ कोई दरिया नहीं
मुझपे हुकूमत, इतना आसान नहीं।
प्यासा हूँ तेरी लबों का
मिट जाए एक रात में, ऐसी प्यास नहीं।
परमीत सिंह धुरंधर
मैं समंदर हूँ कोई दरिया नहीं
मुझपे हुकूमत, इतना आसान नहीं।
प्यासा हूँ तेरी लबों का
मिट जाए एक रात में, ऐसी प्यास नहीं।
परमीत सिंह धुरंधर