सैंया जी के खेत में
लगे हैं दाने अनार के, सखी
सैंया जी के खेत में
सैंया जी के खेत में.
चार बच्चों की अब्बा बना दी
फिर भी लगाते हैं रेस रे.
सैंया जी के खेत में
सैंया जी के खेत में.
६० की मैं, पर प्यास मिटती नहीं
ऐसे रखते हैं मुझे सुलगाए के.
सैंया जी के खेत में
सैंया जी के खेत में.
हैं तो काले कौवे से वो
पर चमकती हैं उनकी देह रे.
सैंया जी के खेत में
सैंया जी के खेत में.
यूँ ही नहीं हैं वो छपरा के धुरंधर
पछाड़ा है सबको इस रेत पे.
सैंया जी के खेत में
सैंया जी के खेत में.
मेरी तो किस्मत फूटी, जो इनसे बंध गयी
क्या -क्या ना करतब दिखाते हैं सेज पे?
सैंया जी के खेत में
सैंया जी के खेत में.
परमीत सिंह धुरंधर