बहुत याद आते हो पिता
इस समंदर में.
ये युद्ध है सत्ता का
ये सुख है सत्ता का
सब अधूरा है इस आँचल में.
अम्बर तक पंख पसारे
उड़ता हूँ.
फिर भी एक सूनापन है
इस जीवन में.
मौत का वरन मुस्करा कर
कर लेंगें
अगर उस तरह आप मिलोगे।
प्रेम है तो बस पिता के आलिंगन में.
Rifle Singh Dhurandhar