ए मेरे दिलवर
मुझे प्यार करके तू
बदनाम कर दे आज-२.
फिर पाने को तुझे
ढूंढती रहूं
बेशर्म होके मैं
हर सुबहों -शाम.
मेरा रूप-रंग, यौवन,
ये साजों-श्रृंगार
छू कर इन्हें
पावन कर दे आज.
तू बरसे मुझपे
बादल बनके
मैं भींगती रहूं
सारी-सारी रात.
लूट जाने दे मुझे
खलिहान में अपने
इससे मीठी ना होगी
किसी आँगन की खाट.
Rifle Singh Dhurnahdar