कटती नहीं हैं रातें पिया परदेश में आके
एक रात तो बिता लो संग खाट लगाके।
किससे करूँ मन की बातें, किसके संग मनुहार?
कोई दर्द फिर जगा दो, सीने से हमको लगाके।
Rifle Singh Dhurandhar
कटती नहीं हैं रातें पिया परदेश में आके
एक रात तो बिता लो संग खाट लगाके।
किससे करूँ मन की बातें, किसके संग मनुहार?
कोई दर्द फिर जगा दो, सीने से हमको लगाके।
Rifle Singh Dhurandhar