वो भी क्या दिन थे?
पिता के साथ में
हम थे हाँ लाडले
आँखों के ख्वाब थे.
जो भी माँग लिया
वो ही था मिल जाता
वो थे आसमान
और हम चाँद थे.
भाग्या प्रबल था
और हम भी प्रबल थे
वो कृष्णा थे हमारे
हम प्रखर थे उनके छाँव में.
Rifle Singh Dhurandhar
वो भी क्या दिन थे?
पिता के साथ में
हम थे हाँ लाडले
आँखों के ख्वाब थे.
जो भी माँग लिया
वो ही था मिल जाता
वो थे आसमान
और हम चाँद थे.
भाग्या प्रबल था
और हम भी प्रबल थे
वो कृष्णा थे हमारे
हम प्रखर थे उनके छाँव में.
Rifle Singh Dhurandhar