मोहब्बत इतना भी ना करो
की शिकायतें बढ़ जाए.
दूरियां इतनी भी ना कम हो
की दीवारें उठ जाए.
सभी इंसान हैं यहाँ
सबकी अपनी-अपनी हैं जरूरतें
खिड़कियों से ना झाँका करो
की कब -कहाँ, कोई नंगा दिख जाए.
Rifle Singh Dhurandhar
मोहब्बत इतना भी ना करो
की शिकायतें बढ़ जाए.
दूरियां इतनी भी ना कम हो
की दीवारें उठ जाए.
सभी इंसान हैं यहाँ
सबकी अपनी-अपनी हैं जरूरतें
खिड़कियों से ना झाँका करो
की कब -कहाँ, कोई नंगा दिख जाए.
Rifle Singh Dhurandhar