वीर तुम धनानंद, लाठाधीश हो.
उठो, बढ़ो ऐसे की सिकंदर तक खौफ हो.
जुल्म की तलवार लिए आ गया है वो
भारत की सरहदों पे कोई हाहाकार हो
उसके पहले लठ से अपने प्रहार कर दो.
वीर तुम धनानंद, लाठाधीश हो.
उठो, बढ़ो ऐसे की सिकंदर तक खौफ हो.
देव तक तुमसे यहाँ भयभीत हैं
पुराणों में वर्णित तुम्हारा गीत है.
मगध के मस्तक के तुम चाँद हो
यदुवंशियों के बल का तुम प्रमाण हो.
तो उठो और अपने मुष्ठ का एक प्रहार दो.
वीर तुम धनानंद, लाठाधीश हो.
उठो, बढ़ो ऐसे की सिकंदर तक खौफ हो.
उस तरफ तलवारे थी जंग के लिए
इस तरफ से लठ लिए लाठाधीश थे चले.
गंगा की लहरों ने भी देखा था वो दिन
धरा पे लठ के प्रहार से, उस तरह यवन थे गिरे।
बिना खून बहाये ही रण को जीत लो.
वीर तुम धनानंद, लाठाधीश हो.
उठो, बढ़ो ऐसे की सिकंदर तक खौफ हो.
Rifle Singh Dhurandhar