मैं पुकारता ही रहा
प्रेम में होकर भाव-विभोर।
छोटी-सी इस जिंदगी में
कितनी कमजोर हैं प्रेम की डोर.
तपते रेत पे बारिश की दो-चार ही बूंदे
छोटी-सी इस जिंदगी में
कितनी कमजोर हैं किस्मत की डोर.
Rifle Singh Dhurandhar
मैं पुकारता ही रहा
प्रेम में होकर भाव-विभोर।
छोटी-सी इस जिंदगी में
कितनी कमजोर हैं प्रेम की डोर.
तपते रेत पे बारिश की दो-चार ही बूंदे
छोटी-सी इस जिंदगी में
कितनी कमजोर हैं किस्मत की डोर.
Rifle Singh Dhurandhar