मेरे दाता, विधाता, ऐसे भुला ना ये नाता
जग में मैं जी रहा हूँ, बस लेकर एक ही नाम.
मेरे शिव तुम्हे प्रणाम, मेरे भोले तुम्हे प्रणाम।
मेरे शिव तुम्हे प्रणाम, मेरे भोले तुम्हे प्रणाम।
हठ करे बालक तो ये तो जग की शोभा है
तुम पिता हो मेरे,खुद को हठ में न बांधों.
मेरी गलतियों को भुलाकर रखना मेरा ध्यान।
मेरे शिव तुम्हे प्रणाम, मेरे भोले तुम्हे प्रणाम।
एक विनती पे, भगीरथ के, तुम थे दौड़े आए
बाँध के गंगा को लहरों में, मेरे शिव थे तुम लहराए।
फिर क्यों हैं अनसुनी प्रभु मेरी हर पुकार?
मेरे शिव तुम्हे प्रणाम, मेरे भोले तुम्हे प्रणाम।
मैंने रखी है ह्रदय में हर पल तुम्हारी छाया
फिर तन-मन पे मेरे क्यों है, काम-क्रोध की माया।
हो मेरा भी उत्थान दे दो पिता ये आशीर्वाद।
मेरे शिव तुम्हे प्रणाम, मेरे भोले तुम्हे प्रणाम।
Rifle Singh Dhurandhar