कुछ भी नहीं धरा पे मनभावन
कुछ भी नहीं मोहक
तुम्हारे बिना ए मोहन।
फिर किस तरफ मैं जाऊं
छोड़ तुम्हारे चरण, ए मोहन।
Rifle Singh Dhurandhar
कुछ भी नहीं धरा पे मनभावन
कुछ भी नहीं मोहक
तुम्हारे बिना ए मोहन।
फिर किस तरफ मैं जाऊं
छोड़ तुम्हारे चरण, ए मोहन।
Rifle Singh Dhurandhar