कब तक दिल को बाँधोगे
कहीं सुख न जाए अश्क इन आखों से.
मैं तो प्यासी रह जाउंगी,
तुम कहीं पत्थर ना हो जाओ माटी से.
और क्या माँगा हैं एक दर्शन के सिवा?
कब तक ठुकराओगे, कहीं कंठ ना रुंध जाए.
मैं तो प्यासी रह जाउंगी
तुम कहीं पत्थर ना हो जाओ माटी से.
Rifle SIngh DHurandhar